स्मार्ट मीटर से जनता त्रस्त: जावरा में करणी सेना का उग्र आंदोलन

करणी सेना नेता जीवनसिंह शेरपुर ने जावरा में जोरदार आंदोलन करते हुए उपभोक्ताओं से इस महीने बिल न भरने का आह्वान किया।

 बिजली के स्मार्ट मीटर और आसमान छूते बिल – जनता की जेब पर दोहरी मार

रतलाम। मध्यप्रदेश के कई जिलों में इन दिनों बिजली के स्मार्ट मीटर और बढ़े हुए बिजली बिलों ने आम जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। हालात ऐसे हैं कि लोग बिजली के बिल देखकर दंग रह जाते हैं। पहले जिन घरों में 1000 से 1500 रुपये तक का बिल आता था, वहीं अब वही मीटर 4 से 5 हजार तक का आंकड़ा पार कर रहे हैं। उपभोक्ता यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर उन्होंने इतनी बिजली कब और कैसे खर्च की।

Ratlam News- People troubled by smart meters: Karni Sena's fierce agitation in Jaora - स्मार्ट मीटर से जनता त्रस्त: जावरा में करणी सेना का उग्र आंदोलन

जावरा में आंदोलन की गूंज

रतलाम जिले के जावरा में इस बढ़ती परेशानी ने आंदोलन का रूप ले लिया। करणी सेना के जिला अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपुर के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग बिजली वितरण केंद्र पहुंचे और जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी मुलाकात जूनियर इंजीनियर (JE) से हुई। बातचीत के दौरान बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों में तीखी कहासुनी हो गई। लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा था। उनका आरोप था कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद से उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। जिन परिवारों की आय पहले से ही सीमित है, वे अब बिजली के बिल भरने के लिए कर्ज लेने की स्थिति में पहुंच रहे हैं। गुस्से का सबसे बड़ा कारण यह है कि जिन अधिकारियों के पास लोग अपनी शिकायत लेकर जाते हैं, वे खुद ही बेबस हैं। JE से लेकर CE (चीफ इंजीनियर) तक यह साफ कह चुके हैं कि यह नीति उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यानी वे जनता की बात सुन तो सकते हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा सकते। ऐसे में आम उपभोक्ता खुद को ठगा हुआ और असहाय महसूस कर रहे हैं।

ऊर्जा मंत्री पर निशाना

इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा निशाना बने हैं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री। जनता और सामाजिक संगठनों का कहना है कि मंत्री जी केवल दिखावे के कामों में व्यस्त रहते हैं। कभी नाली साफ करते दिखते हैं, कभी बिना प्रेस किए कपड़े पहनने की चर्चा में रहते हैं, तो कभी एसी छोड़कर टेंट में सोने की तस्वीरें वायरल करते हैं। लेकिन जब असली मुद्दों—जैसे स्मार्ट मीटर, बढ़े हुए टैरिफ और उपभोक्ताओं की समस्याओं—की बात आती है तो मंत्री जी पूरी तरह चुप्पी साध लेते हैं। लोगों का मानना है कि अगर मंत्री खुद इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेंगे तो विभागीय अफसर भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे। नतीजा यह है कि जनता रोज़ परेशान होती है और अधिकारी लोगों के गुस्से का शिकार बनते हैं।

     करणी सेना के जीवनसिंह शेरपुर ने इस मामले को जनता की लड़ाई बना दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि स्मार्ट मीटर किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं हैं। उनका आरोप है कि यह पूरा खेल कंपनियों और सरकार की मिलीभगत से चल रहा है, जिसमें जनता को सिर्फ लूटने का काम हो रहा है। जीवनसिंह ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे इस महीने बिजली का बिल न भरें और सरकार पर दबाव बनाएं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी लिखा है कि – “अब समय आ गया है कि हम सब एकजुट होकर इस अन्याय का विरोध करें। यह सिर्फ बिजली का मुद्दा नहीं बल्कि हमारे हक़ और जेब का सवाल है।” शहर से लेकर गाँव तक हर जगह लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर स्मार्ट मीटर किसके फायदे के लिए लगाए गए। जिन घरों में महीनेभर पंखे और दो बल्ब चलते हैं, वहाँ भी 2000 से ज्यादा का बिल आना किसी साजिश से कम नहीं लगता। कई उपभोक्ताओं ने शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन हर बार यही जवाब मिलता है कि “सिस्टम ऐसा ही है, हम कुछ नहीं कर सकते।” लोगों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो बिजली बिल भरना ही बंद कर देंगे। जावरा आंदोलन के बाद अब यह चिंगारी धीरे-धीरे पूरे रतलाम और आसपास के इलाकों में फैल रही है।

सवालों के घेरे में सरकार

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी? क्या ऊर्जा मंत्री और विभागीय अधिकारी जनता की समस्याओं को सुनकर राहत देंगे? या फिर यह विरोध केवल धरना-प्रदर्शन तक ही सीमित रह जाएगा? फिलहाल स्थिति यह है कि जनता और करणी सेना के आंदोलन के चलते रतलाम में नए स्मार्ट मीटर लगाने की संभावना बेहद कम हो गई है। लोग अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि अगर वे एकजुट होकर दबाव बनाएंगे तो सरकार को मजबूर होकर पीछे हटना पड़ेगा। जीवनसिंह शेरपुर और करणी सेना की यह लड़ाई अब केवल बिजली बिल का मुद्दा नहीं रही, बल्कि यह आम जनता की ताकत और सरकार की जवाबदेही का सवाल बन गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार जनता की आवाज़ सुनती है या फिर आंदोलन और तेज़ होगा।

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