बेटियों के प्रति भेदभाव खत्म करने के लिए सामाजिक संस्थाएं आगे आऐं-  पदमश्री डॉ. लीला जोशी

  •  लैंगिक असमानता घरेलू हिंसा एवं पीसीपीएनडीटीएक्ट की कार्यशाला संपन्न
  • कन्या भ्रुण हत्या अपराध है-डॉ. बी.एल.तापडिया
  • “लैंगिक असमानता महिला हिंसा उन्मूलन में युवा शक्ति की भूमिका पर व्याख्यान”

रतलाम. शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रतलाम में रोटरी क्लब ऑफ रतलाम प्लेटिनम, राष्ट्रीय सेवा योजना, स्वास्थ्य विभाग, स्त्री रोग विशेषज्ञ संस्था के संयुक्त तत्वाधान में महाविद्यालय में लैंगिक असमानता तथा महिला हिंसा उन्मूलन में युवा शक्ति की भूमिका विषय पर व्याख्यान पद्मश्री डॉक्टर लीला जोशी के मुख्य आतिथ्य एवं प्राचार्य डॉ. आर के कटारे  की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। अतिथियों का परिचय एवं स्वागत उद्बोधन डॉक्टर मानिक डांगे रोटरी प्लैटिनम अध्यक्ष एवं गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष ने किया। “बहुत सहा, बस यह भेद मिटाना है नई डगर, नया सफर आगे बढ़ते जाना है।“

ratlam news- Social organizations should come forward to end discrimination against daughters - Padmashree Dr. Leela Joshi


              उक्त विचारों के साथ पद्मश्री डॉक्टर लीला जोशी ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कि महाविद्यालय में लैंगिक उत्पीड़न समिति पहले से ही सक्रिय है अपने उद्बोधन में छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि महिलाओं के उत्पीड़न को दूर करने हेतु संयुक्त रूप से पहल करने की अत्यंत आवश्यकता है ।अतः सामाजिक रूप से संयुक्त होकर सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सके इस ओर सोचना होगा कि, हम क्या कर सकते हैं ? लक्ष्य की प्राप्ति हेतु संयुक्त रूप से ही हमें आगे आना होगा । स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉक्टर तापड़िया ने ने कहा कि महिला ही महिला की उत्पीड़न का कारक है समाज की समस्त महिलाएं जागरूक होकर और ईश्वर प्राण ले ले तो इस उत्पीड़न को रोका जा सकता है केवल कानून बनाने से एवं सजा देने से ही समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।   डॉ राजकुमारी राजपुरोहित ने “धीरा“ कार्यक्रम की संपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि, ना कहने का साहस   बालिकाओं में होना आवश्यक है।इस हेतु रोजगार उन्मुखी शिक्षा और आत्म निर्भरता होने पर इस भेदभाव को वह जड़ से खत्म कर सकती है।   महिलाओं को दृढ़ होना ही होगा। डॉ सुलोचना शर्मा ने कहा  समाज में महिलाओं को दोयम दर्जे  एवं शक्तिहीन दृष्टि से देखा जाता है  जो गलत है इसमें परिवर्तन लाना ही होगा और इसे जिस तरह बड़े स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत किया जा रहा है रतलाम में भी  बड़े स्तर पर कार्य कर निवारण करना होगा । वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ सुरेश कटारिया ने छात्राओं को  प्रेरित करते हुए कहा कि कार्यक्रम की महत्ता को आत्मसात करें और महिला असमानता को मिटाने का साहस करें।

अपने अध्यक्षीय  उद्बोधन में डॉ.आर. के. कटारे ने  इस सफल और महत्वपूर्ण उन्मूलन कार्यक्रम हेतु पधारे हुए समस्त पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए धन्यवाद प्रेषित किया । आपने कहा सामाजिक रूप से हम सभी जिम्मेदार हैं। महिलाए स्वयं  इस असमानता को दूर करने के लिए प्रयास करें । छात्राओं को संयुक्त रूप से जुड़कर  अभियान को वृहद रूप प्रदान कर सक्रिय योगदान देने का आव्हान किया।  इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं पीसीपीएनडीटी एक्ट की जागरूकता हेतु  डॉली खरे, , सीमा बामनिया, शिवांगी राजपूत, कृति वारे, इशिता पांचाल को एम्बेसडर नियुक्त किया। अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष पूजन अर्चन के साथ माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम में  पधारे हुए अतिथियों का स्वागत डॉ माणिक डांगे , वंदना सोनी, डॉ मीना सिसोदिया, डॉक्टर मंगलेश्वरी जोशी डॉक्टर स्नेहा पंडित डॉ सुनीता श्रीमाल ने  किया। डॉ सुनीता वाधवानी एवं डॉक्टर अदिति राठौर ने छात्राओं से सामूहिक चर्चा की । प्रोफेसर सुषमा कटारे लैंगिक उत्पीड़न निवारण समिति प्रभारी ने समिति द्वारा महाविद्यालय में प्रतिवर्ष किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा करते हुए समस्त पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रही साथ ही वरिष्ठ प्राध्यापक डॉक्टर अनिल जैन डॉक्टर सुरेश चौहान डॉ अनामिका सारस्वत डॉ बी वर्षा डॉ संध्या सक्सेना डॉक्टर सुप्रिया पैठणकर डॉ रीतिका श्रीवास्तव डॉ सौरभ गुर्जर डॉ पुष्पा कपूर, डॉ. सारा अत्तारी,  श्री शिवप्रकाश पुरोहित, श्री दिनेश गोयल  समस्त  महाविद्यालयीन स्टॉफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रासेयो अधिकारी प्रोफेसर प्रीति शर्मा ने किया।

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